आज कल कि भागदौड भरी जीवनशैली में समय हि किसके पास है कि वो थोड़ा रुक कर अपने शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिये या इस देह कि चिकित्सा करवाने के लिये समय निकाल सके, हर कोई कम से कम समय में स्वस्थ हो कर फिर से काम पर लग जाना चाहता है, जन साधारण कि इसी सोच के चलते आधुनिक चिकित्सा पद्धति (एलोपैथी / Allopathy) का विकास हुआ...!
किन्तु त्वरित उपचार के चक्कर में एलोपैथीक चिकित्सा से होने वाले दुष्प्रभावों के विषय में आज जनसामान्य जागरूक होने लगा है, इसीलिए होम्योपैथीक चिकित्साम पद्धति दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की कर रही है और लोगों में इसकी लोकप्रियता बढती हि जा रही है...!!
आज दुनिया में ऐसे कई लोग है जो अपनी किसी भी शारीरिक समस्या के लिये सबसे पहले होम्योपैथी को हि प्राथमिकता देतें है, जबकि कुछ ऐसे भी है जो कभी-कभी हि होम्योपैथीक औषधी लेतें है, और कुछ तो ऐसे है जो अन्य दवाओं से परेशान हो कर फिर होम्योपैथी कि ओर झुकते, जबकि कुछ लोग तो होम्योपैथी के विषय में वास्तविकता से दूर, सुनी सुनाई बातों से मन में कई प्रकार कि भ्रान्तियाँ पाल कर बैठ जाते है...!!
इस लेख के माध्यम से यहाँ हम होम्योपैथी को लेकर ऐसी हि कुछ भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास कर रहे है......!
1. होम्योपैथी एक अप्रमाणित विज्ञान है....!!
तथ्य : होम्योपैथी, प्रायोगिक भेषज विज्ञान और परिक्षीत चिकित्सकीय सूत्रों पर आधारित विज्ञान है, कई वर्षों के प्रायोगिक अनुभवों के बाद होम्योपैथीक औषधियों कि क्रियाशीलता विभिन्न रोग लक्षणों पर सिद्ध हो चुकी है..!
2. होम्योपैथीक मीठी गोलियाँ सिर्फ औषधि रहित शक्कर कि गोलियाँ मात्र होती है, जो किसी काम कि नहीं होती...!
तथ्य : यह बात सही है कि शक्कर कि सफ़ेद मीठी गोलियों में कोई भी औषधीय गुण नहीं होते ये सिर्फ औषधियों को वहन करने का साधन या माध्यम मात्र है, औषधियाँ तो अल्कोहल आधारित होती है जो सीधे जुबान पर, पानी में घोल कर या फिर मीठी गोलियों के माध्यम से रोगी को दी जा सकती है...!! होम्योपैथीक औषधियों का परिक्षण तो विश्व भर में हजारों रोगियों पर हो चुका है और करोड़ों लोग आज भी इससे लाभान्वित हो रहे है जिससे ये साबित होता है कि ये औषधियाँ महज शक्कर कि गोलियाँ नहीं अपितु महत्वपूर्ण औषधियाँ है...!!
3. होम्योपैथीक औषधियाँ धीरे-धीरे असर करने वाली दवाइयाँ है जो किसी उग्र रोग जैसे डायरिया, ज्वर, खाँसी, या जुकाम आदि में अपना प्रभाव नहीं दिखाती....!!
तथ्य : जबकि होम्योपैथीक औषधियाँ तो ऐसे उग्र या तरुण रोगों में अन्य कि अपेक्षा और ज्यादा प्रभावकारी सिद्ध होती, बदकिस्मती से लोग एक होमियोपेथ के पास तभी पहुँचते है जब ऐसे सरल रोग भी जटिल बन जाते है, और ऐसे जटिल रोगियों को हि ठीक करने में होमियोपेथी को अधिक समय लगता है, साथ हि लोग आर्थराईटिस, एलर्जिक अस्थमा, या त्वचा रोगों जैसी जटिल समस्याओं के लिये हि होमियोपैथी को चुनते है जिनका किसी भी चिकित्साज पद्धति से उपचार करने में समय तो लगता हि है...!!
4. होमियोपैथीक औषधियाँ " चमत्कारिक औषधियाँ " है जो किसी भी विकृति को ठीक करने में सक्षम होती है...!!
तथ्य : ये बात ठीक है कि होमियोपैथीक औषधियाँ " चमत्कारिक औषधियों " कि भांति कार्य करती है, फिर भी अन्य चिकित्सा पद्धतियों कि हि तरह इसकी भी कुछ सीमाएँ है जैसे, " कि दांत के रोगियों में, हड्डियों के टूटने में या पूर्ण रूप से पके मोतियाबिन्द जैसे रोगों में जहाँ सर्जरी का कोई विकल्प हि ना हो, वहाँ होमियोपैथी कारगर साबित नहीं होती...!!
5. होमियोपैथिक चिकित्सक अकुशल होतें है जिनको औषधियों का पूरा ज्ञान भी नहीं होता....!!
तथ्य : भारत भर 180 से ज्यादा होमियोपैथिक मेडिकल कोलेज है जो इस विषय में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम संचालित करते है, वर्तमान में हमारे देश में दो लाख से अधिक, पूर्ण रूप से डिग्रीधारी चिकित्सकगण प्रेक्टीस कर रहे है..!!
6. होमियोपैथिक चिकित्सा के दौरान रोगियों को खानपान संबंधी कड़े परहेजों का पालन करना होता है....!!
तथ्य : होमियोपैथिक चिकित्सा के दौरान कुछ औषधियों का पूरा-पूरा लाभ लेने के लिये कुछ रोगियों को कच्चे प्याज, लहसुन, हिंग,चाय-काफी, तम्बाकू, शराब आदि से बचने कि सलाह दी जाती है, जबकि शराब और तम्बाकू जैसे वस्तुएँ यूँ भी स्वास्थ्य के लिये तो हानिकारक हि होती है ना....!!
7. होमियोपैथिक चिकित्सा मात्र जीर्ण या जटिल रोगों के लिए हि कारगर होती है..!!
तथ्य : अक्सर होता यही है, जब सारे चिकित्सकीय प्रयास विफल हो जाते है, जबकि वास्तविकता ये है कि लोग होमियोपैथिक चिकित्सा लेते हि तब है जब उनके सारे चिकित्सकीय प्रयास विफल हो जाते है..!!
लंबे चले एलोपैथीक चिकित्सा प्रयोग के दौरान साधारण रोग भी जीर्ण या जटिल हो जाता है जिसकि चिकित्सा, अब होमियोपैथी के द्वारा भी जटिल हो जाती है..!!
8. होमियोपैथी कि मीठी गोलियाँ, "डायबिटिक रोगियों" के लिये ठीक नहीं है...!!
तथ्य : जी हाँ डायबिटिक रोगी भी होमियोपैथी कि छोटी-छोटी मीठी गोलियाँ ले सकते है, प्रतिदिन लिये जाने वाले भोजन से प्राप्त होने वाली शुगर, इन गोलियों से प्राप्त होने वाली शुगर से कहीं ज्यादा होती है..!! फिर भी किसी डायबिटीज कि बिगड़ी हुई अवस्था में अल्कोहल आधारित औषधियाँ सीधे जुबान पर, पानी में घोल कर या लेक्टोज के साथ ली जा सकती है..!!
9. एक होमियोपैथ हर प्रकार के रोग में एक हि तरह कि सफ़ेद मीठी गोलियाँ देते है, आखिर ये फायदा कैसे करेगी...???
तथ्य : 1200 से ज्यादा औषधियों में से रोग लक्षणानुसार चुनी गयी औषधि को देने के लिये होमियोपैथिक चिकित्सक एक हि प्रकार कि सफ़ेद मीठी गोलियों का प्रयोग करते है जो कि औषधि विनिमय हेतु सिर्फ माध्यम मात्र होती है, और लाखों रोगी इनसे लाभान्वित भी हो रहे है...!!
10. क्या सच में होमियोपैथिक औषधियों के कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होते...??
तथ्य : वास्तव में होमियोपैथिक औषधियों के कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होते जब तक कि वे 3 CH या उससे ऊँची शक्ति में प्रयोग कि जाती है, लेकिन Mother Tincture, 1x या 2x जैसी निम्न शक्तियों का प्रयोग करने पर कभी-कभी औषधि के धातुगत प्राकृतिक लक्षणों का दुष्प्रभाव रूप से प्राकट्य होना संभव है...!!
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प्रस्तुत लेख का उद्देश्य, जनसामान्य में होमियोपैथिक चिकित्सा जैसी निर्दोष पद्धति के प्रति जागरूकता लाना मात्र है, कोई भी व्यक्ति लेख मं वर्णित किसी भी औषधि को किसी कुशल होमियोपैथिक चिकित्सक से परामर्श के बाद हि लें, अपने आप किसी भी औषधि का प्रयोंग ना स्वयं पर करें, ना हि किसी अन्य रोगी पर कर के अपने तथा उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड करें...पाठकों से ऐसी हमारी करबद्ध प्रार्थना है......!!
होमियोपैथी के साथ हि साथ अब तो आधुनिक चिकित्साविज्ञान भी ये मानचुका है की शरीर में कोई भी रोग, तब तक अपने लक्षण नहीं प्रकट कर पाता
जब तक की शरीर का रोगप्रतिरक्षा तंत्र मजबूत है, भले हि फिर शरीर में रोगके कीटाणुओं से सम्बंधित सारे टेस्ट पोजिटिव आये.....जैसे हि शरीर की रोगप्रतिकारक क्षमता घटी की शरीर पर रोग का आक्रमण हो जाता है......
Dr.GurpreetSingh Makkar
HOMEOPATHIC PHYSICIAN
SUKHMANI HOMEOPATHIC MULTISPECIALITY CLINIC
9872-735707
WWW.ASKDRMAKKAR.COM
किन्तु त्वरित उपचार के चक्कर में एलोपैथीक चिकित्सा से होने वाले दुष्प्रभावों के विषय में आज जनसामान्य जागरूक होने लगा है, इसीलिए होम्योपैथीक चिकित्साम पद्धति दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की कर रही है और लोगों में इसकी लोकप्रियता बढती हि जा रही है...!!
आज दुनिया में ऐसे कई लोग है जो अपनी किसी भी शारीरिक समस्या के लिये सबसे पहले होम्योपैथी को हि प्राथमिकता देतें है, जबकि कुछ ऐसे भी है जो कभी-कभी हि होम्योपैथीक औषधी लेतें है, और कुछ तो ऐसे है जो अन्य दवाओं से परेशान हो कर फिर होम्योपैथी कि ओर झुकते, जबकि कुछ लोग तो होम्योपैथी के विषय में वास्तविकता से दूर, सुनी सुनाई बातों से मन में कई प्रकार कि भ्रान्तियाँ पाल कर बैठ जाते है...!!
इस लेख के माध्यम से यहाँ हम होम्योपैथी को लेकर ऐसी हि कुछ भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास कर रहे है......!
1. होम्योपैथी एक अप्रमाणित विज्ञान है....!!
तथ्य : होम्योपैथी, प्रायोगिक भेषज विज्ञान और परिक्षीत चिकित्सकीय सूत्रों पर आधारित विज्ञान है, कई वर्षों के प्रायोगिक अनुभवों के बाद होम्योपैथीक औषधियों कि क्रियाशीलता विभिन्न रोग लक्षणों पर सिद्ध हो चुकी है..!
2. होम्योपैथीक मीठी गोलियाँ सिर्फ औषधि रहित शक्कर कि गोलियाँ मात्र होती है, जो किसी काम कि नहीं होती...!
तथ्य : यह बात सही है कि शक्कर कि सफ़ेद मीठी गोलियों में कोई भी औषधीय गुण नहीं होते ये सिर्फ औषधियों को वहन करने का साधन या माध्यम मात्र है, औषधियाँ तो अल्कोहल आधारित होती है जो सीधे जुबान पर, पानी में घोल कर या फिर मीठी गोलियों के माध्यम से रोगी को दी जा सकती है...!! होम्योपैथीक औषधियों का परिक्षण तो विश्व भर में हजारों रोगियों पर हो चुका है और करोड़ों लोग आज भी इससे लाभान्वित हो रहे है जिससे ये साबित होता है कि ये औषधियाँ महज शक्कर कि गोलियाँ नहीं अपितु महत्वपूर्ण औषधियाँ है...!!
3. होम्योपैथीक औषधियाँ धीरे-धीरे असर करने वाली दवाइयाँ है जो किसी उग्र रोग जैसे डायरिया, ज्वर, खाँसी, या जुकाम आदि में अपना प्रभाव नहीं दिखाती....!!
तथ्य : जबकि होम्योपैथीक औषधियाँ तो ऐसे उग्र या तरुण रोगों में अन्य कि अपेक्षा और ज्यादा प्रभावकारी सिद्ध होती, बदकिस्मती से लोग एक होमियोपेथ के पास तभी पहुँचते है जब ऐसे सरल रोग भी जटिल बन जाते है, और ऐसे जटिल रोगियों को हि ठीक करने में होमियोपेथी को अधिक समय लगता है, साथ हि लोग आर्थराईटिस, एलर्जिक अस्थमा, या त्वचा रोगों जैसी जटिल समस्याओं के लिये हि होमियोपैथी को चुनते है जिनका किसी भी चिकित्साज पद्धति से उपचार करने में समय तो लगता हि है...!!
4. होमियोपैथीक औषधियाँ " चमत्कारिक औषधियाँ " है जो किसी भी विकृति को ठीक करने में सक्षम होती है...!!
तथ्य : ये बात ठीक है कि होमियोपैथीक औषधियाँ " चमत्कारिक औषधियों " कि भांति कार्य करती है, फिर भी अन्य चिकित्सा पद्धतियों कि हि तरह इसकी भी कुछ सीमाएँ है जैसे, " कि दांत के रोगियों में, हड्डियों के टूटने में या पूर्ण रूप से पके मोतियाबिन्द जैसे रोगों में जहाँ सर्जरी का कोई विकल्प हि ना हो, वहाँ होमियोपैथी कारगर साबित नहीं होती...!!
5. होमियोपैथिक चिकित्सक अकुशल होतें है जिनको औषधियों का पूरा ज्ञान भी नहीं होता....!!
तथ्य : भारत भर 180 से ज्यादा होमियोपैथिक मेडिकल कोलेज है जो इस विषय में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम संचालित करते है, वर्तमान में हमारे देश में दो लाख से अधिक, पूर्ण रूप से डिग्रीधारी चिकित्सकगण प्रेक्टीस कर रहे है..!!
6. होमियोपैथिक चिकित्सा के दौरान रोगियों को खानपान संबंधी कड़े परहेजों का पालन करना होता है....!!
तथ्य : होमियोपैथिक चिकित्सा के दौरान कुछ औषधियों का पूरा-पूरा लाभ लेने के लिये कुछ रोगियों को कच्चे प्याज, लहसुन, हिंग,चाय-काफी, तम्बाकू, शराब आदि से बचने कि सलाह दी जाती है, जबकि शराब और तम्बाकू जैसे वस्तुएँ यूँ भी स्वास्थ्य के लिये तो हानिकारक हि होती है ना....!!
7. होमियोपैथिक चिकित्सा मात्र जीर्ण या जटिल रोगों के लिए हि कारगर होती है..!!
तथ्य : अक्सर होता यही है, जब सारे चिकित्सकीय प्रयास विफल हो जाते है, जबकि वास्तविकता ये है कि लोग होमियोपैथिक चिकित्सा लेते हि तब है जब उनके सारे चिकित्सकीय प्रयास विफल हो जाते है..!!
लंबे चले एलोपैथीक चिकित्सा प्रयोग के दौरान साधारण रोग भी जीर्ण या जटिल हो जाता है जिसकि चिकित्सा, अब होमियोपैथी के द्वारा भी जटिल हो जाती है..!!
8. होमियोपैथी कि मीठी गोलियाँ, "डायबिटिक रोगियों" के लिये ठीक नहीं है...!!
तथ्य : जी हाँ डायबिटिक रोगी भी होमियोपैथी कि छोटी-छोटी मीठी गोलियाँ ले सकते है, प्रतिदिन लिये जाने वाले भोजन से प्राप्त होने वाली शुगर, इन गोलियों से प्राप्त होने वाली शुगर से कहीं ज्यादा होती है..!! फिर भी किसी डायबिटीज कि बिगड़ी हुई अवस्था में अल्कोहल आधारित औषधियाँ सीधे जुबान पर, पानी में घोल कर या लेक्टोज के साथ ली जा सकती है..!!
9. एक होमियोपैथ हर प्रकार के रोग में एक हि तरह कि सफ़ेद मीठी गोलियाँ देते है, आखिर ये फायदा कैसे करेगी...???
तथ्य : 1200 से ज्यादा औषधियों में से रोग लक्षणानुसार चुनी गयी औषधि को देने के लिये होमियोपैथिक चिकित्सक एक हि प्रकार कि सफ़ेद मीठी गोलियों का प्रयोग करते है जो कि औषधि विनिमय हेतु सिर्फ माध्यम मात्र होती है, और लाखों रोगी इनसे लाभान्वित भी हो रहे है...!!
10. क्या सच में होमियोपैथिक औषधियों के कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होते...??
तथ्य : वास्तव में होमियोपैथिक औषधियों के कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होते जब तक कि वे 3 CH या उससे ऊँची शक्ति में प्रयोग कि जाती है, लेकिन Mother Tincture, 1x या 2x जैसी निम्न शक्तियों का प्रयोग करने पर कभी-कभी औषधि के धातुगत प्राकृतिक लक्षणों का दुष्प्रभाव रूप से प्राकट्य होना संभव है...!!
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प्रस्तुत लेख का उद्देश्य, जनसामान्य में होमियोपैथिक चिकित्सा जैसी निर्दोष पद्धति के प्रति जागरूकता लाना मात्र है, कोई भी व्यक्ति लेख मं वर्णित किसी भी औषधि को किसी कुशल होमियोपैथिक चिकित्सक से परामर्श के बाद हि लें, अपने आप किसी भी औषधि का प्रयोंग ना स्वयं पर करें, ना हि किसी अन्य रोगी पर कर के अपने तथा उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड करें...पाठकों से ऐसी हमारी करबद्ध प्रार्थना है......!!
होमियोपैथी के साथ हि साथ अब तो आधुनिक चिकित्साविज्ञान भी ये मानचुका है की शरीर में कोई भी रोग, तब तक अपने लक्षण नहीं प्रकट कर पाता
जब तक की शरीर का रोगप्रतिरक्षा तंत्र मजबूत है, भले हि फिर शरीर में रोगके कीटाणुओं से सम्बंधित सारे टेस्ट पोजिटिव आये.....जैसे हि शरीर की रोगप्रतिकारक क्षमता घटी की शरीर पर रोग का आक्रमण हो जाता है......
Dr.GurpreetSingh Makkar
HOMEOPATHIC PHYSICIAN
SUKHMANI HOMEOPATHIC MULTISPECIALITY CLINIC
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