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होमियोपैथी को लेकर भ्रान्तियाँ और तथ्य -

आज कल कि भागदौड भरी जीवनशैली में समय हि किसके पास है कि वो थोड़ा रुक कर अपने शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिये या इस देह कि चिकित्सा करवाने के लिये समय निकाल सके, हर कोई कम से कम समय में स्वस्थ हो कर फिर से काम पर लग जाना चाहता है, जन साधारण कि इसी सोच के चलते आधुनिक चिकित्सा पद्धति (एलोपैथी / Allopathy) का विकास हुआ...!  किन्तु त्वरित उपचार के चक्कर में ए लोपैथीक चिकित्सा से होने वाले दुष्प्रभावों के विषय में आज जनसामान्य जागरूक होने लगा है, इसीलिए होम्योपैथीक चिकित्साम पद्धति दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की कर रही है और लोगों में इसकी लोकप्रियता बढती हि जा रही है...!! आज दुनिया में ऐसे कई लोग है जो अपनी किसी भी शारीरिक समस्या के लिये सबसे पहले होम्योपैथी को हि प्राथमिकता देतें है, जबकि कुछ ऐसे भी है जो कभी-कभी हि होम्योपैथीक औषधी लेतें है, और कुछ तो ऐसे है जो अन्य दवाओं से परेशान हो कर फिर होम्योपैथी कि ओर झुकते, जबकि कुछ लोग तो होम्योपैथी के विषय में वास्तविकता से दूर, सुनी सुनाई बातों से मन में कई प्रकार कि भ्रान्तियाँ पाल कर बैठ जाते है...!! इस लेख के माध्यम से यहाँ हम होम्योपैथी को

डायबिटीज़ सावधानी इलाज से बेहतर है

डायबिटीज़ जैसी बीमारी प्राकृतिक या अनुवांशिक कारणों से हो सकती है। यह एक ऐसा विकार है , जिसमें रक्तक में इन्सुसलिन का स्त र बढ़ जाता है। डायबिटीज़ मुख्यात : दो कारणों से होता है , या तो शरीर में इन्सुहलिन का बनना बंद हो जाये या फिर शरीर में इन्सुरलिन का प्रभाव कम हो जाये। दोनों ही परिस्थितियों में शरीर में ग्लूसकोज़ की मात्रा बढ़ जाती है। डायबिटीज़ के मरीज़ों को आहार की विशिष्ट   सलाह दी जाती है । यह विकार आजीवन रहने वाला है इसलिए अच्छाक होगा कि आप सावधानियां बरतें और अपनी जीवनशैली को थोड़ा संतुलित बनायें। शिवम नेत्रालय के आप्थैहमालाजिस्टड डाक्टेर अशोक हन्सामरिया के अनुसार ऐसा ज़रूरी नहीं कि डायबिटीज़ के बढ़ जाने से आपको कोई तकलीफ हो। इसलिए समय - समय पर रक्त जांच कराते रहें। डाक्ट र अशोक के अनुसार ऐसे आहार जिनसे डायबिटिक्सब को परहेज़ करना चाहिए : डायबिटिक्स   को आहार के इन नियमों को अपनाने के साथ - साथ कुछ और सावधानियां भी बरतनी